दिलचस्प होंगे ये उपचुनाव
जींद. 2014 के चुनाव में इनेलो के डॉ. हरिचंद मिड्ढा ने चुनाव जीता था। लंबी बीमारी के चलते 26 अगस्त को उनका निधन हो गया था। तब से यहां उपचुनाव कराने की मांग उठ रही थी। मामला कोर्ट भी गया। लेकिन अब चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा कर दी है।
जींद विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए तारीखों की घोषणा सोमवार को हो गई। 28 जनवरी को मतदान होगा। 31 जनवरी को मतगणना के बाद परिणाम जारी किए जाएंगे। प्रदेश की सियासत की राजधानी कहे जाने वाले जींद का यह उपचुनाव खास होने वाला है, क्योंकि इसके बाद लोकसभा और फिर विधानसभा चुनाव होने हैं।
यह उपचुनाव खास… क्याेंकि लोकसभा से पहले सभी पार्टियों का टेस्ट :
भाजपा : जींद विस सीट पर 12 बार हुए चुनाव में एक बार भी कमल नहीं खिला है। भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती यहां खाता खोलने की रहेगी। निगम चुनाव की जीत का माहौल बनाए रखना चाहेगी।भाजपा से दावेदार पूर्व विधायक डाॅ. हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा के अलावा 2014 के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे सुरेंद्र बरवाला और जवाहर सैनी भी टिकट के दावेदार हैं।
जेजेपी : इनेलो से निष्कासन के बाद दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी बनाई है। पहली परीक्षा में वे जीत के साथ पार्टी के आधार को मजबूती देना चाहेंगे। जजपा के दावेदार को लडाने के लिए सिंबल नहीं मिला तो अस्थाई सिंबल पर लड़ेगी। इनेलो की यूथ विंग के प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रदीप गिल व जेजेपी के जिला अध्यक्ष कृष्ण राठी टिकट के प्रमुख दावेदार हैं।
इनेलो : जींद इनेलो का गढ़ रहा है। लेकिन गोहाना रैली के बाद चौटाला परिवार में विवाद के चलते पार्टी दोफाड़ हो गई। अब यह न केवल इनेलो बल्कि अभय चौटाला की भी अग्निपरीक्षा होगी। जिला परिषद की पूर्व चेयरपर्सन सुमित्रा देवी और जुलाना से विधायक परमेन्द्र ढुल के बेटे रविन्द्र ढुल दावेदारी में हैं।
कांग्रेस : जींद सीट 5 बार कांग्रेस की झोली में गई है। पार्टी में गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। देखना होगा कि किस खेमे के नेता को टिकट मिलता है। इससे पार्टी का रुख साफ होगा। सभी गुटों के नेता दावेदार हैं। पिछला चुनाव लड़ने वाले प्रमोद सहवाग, रघुवीर भारद्वाज, बालमुकुंद शर्मा, बलजीत सिंह रेहडू और सुरेश गोयत प्रमुख हैं।
साल 2014 में सिर्फ 1.86% वोट के अंतर से हारी थी भाजपा :
जींद विधानसभा में 12 बार हुए चुनाव में 5 बार कांग्रेस, 4 बार लोकदल व इनेलो के विधायक बने। हरियाणा विकास पार्टी, एनसीआे के एक-एक बार व एक बार निर्दलीय विधायक बने हैं। इस सीट को कांग्रेस नेता मांगेराम गुप्ता के नाम से जाना जाता है। वे यहां से 4 बार जीते व 4 बार हारे। 2009 में इनेलो नेता हरिचंद मिढ़ा ने 36.40% वोट लेकर उन्हें हराया। 2014 में मिड्ढा ने इनेलो से ही भाजपा में आए सुरेंद्र बरवाला को 1.86% यानी 2257 वोट से हराया। मिड्ढा को 25.99% वोट मिले थे।