Home INDIA चलो, हम भी एक नयी पार्टी बनाएं…

चलो, हम भी एक नयी पार्टी बनाएं…

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दुष्यंत चौटाला की 9 दिसंबर की नयी पार्टी ‘जनता जननायक पार्टी’ के एलान से एक नयी पार्टी और रैली घोषित करने का मेरा भी दिल कर रहा है.
नयी पार्टी बनाने में क्या रखा है? बस पार्टी का चिन्ह – गूगल से चेप के कोई तस्वीर, किसी दिग्गज की तस्वीर और कई रंगों के फेर बदल से आपका पार्टी सिंबल तैय्यार. किसी पंडित को बुला कर पार्टी लांच करने का दिन, सही समय, हेलीकाप्टर से लैंड करने का सही समय, मुहूर्त तय कर लीजिये.
कहते हैं न परिवार में लड़ाई हो तो दुनिया तमाशा देखती है क्यूंकि उनको अब गप्पें मारने का नया टॉपिक मिल जाता है. समर्थक मिलने भी मुश्किल नहीं होते. कुछ तो आप से प्यार करते है, कुछ आपके रुतबे से, कुछ आपकी पावर से, और कुछ तो बहुत दूरंदेशी होते हैं जो ये भांप लेते हैं कि आने वाले समय कि अगर आप के नेताजी मुख्यमंत्री बने तो आप भी सोने चांदी में डुबकियां लगाएंगे. तो अगर अब थोड़े लाख, करोड़ खर्चनें पड़े तो यह भी अच्छी इन्वेस्टमेंट है.
जैसे किसी फ़िल्मी लेखक या निर्देशक को तगड़ा प्रोडूसर मिल जाता है, तो फिल्म की घोषणा जल्द ही होती है. जितनी बड़ी इन्वेस्टमेंट, उतना बड़ा हीरो, उतनी ही बड़ी फिल्म. सो आपकी नयी पार्टी को अगर सही इन्वेस्टर मिल जाते हैं तो फिर वेन्यू क्या, भीड़ क्या, उन्हें ढ़ोने के लिए ट्रकें और बसें क्या!
शादी से पहले लड़के और लड़किआं bachelor और bachelorett पार्टी रखते हैं. पर जो मज़ा आपको फेरों में आता है जहाँ आप के दादके, नानके, माँ-बाप, भाई बंधू, दोस्त सब होते हैं, वह कहीं और नहीं. सो नयी पार्टी तो बन गयी, पर उसमें अगर बुज़ुर्गों की शिरकत नहीं, औरतों की हिस्सेदारी नहीं, सिर्फ एक जवानी का जज़्बा है तो वह फिर एक बैचलर पार्टी जितनी ही ख़ुशी देगी.
सो लगता है, मुझे भी नयी पार्टी बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. बाक़ी रहे पार्टी के मुद्दे, यानी मैनिफेस्टो की बात – वह तो सबसे आसान काम है. 71 साल की आज़ादी ने हमें झूठे वादों की सौगात दी है. कहीं से मुद्दे कॉपी-पेस्ट करके हम भी अपना काम चला लेंगे.

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