Home INDIA आखिर इतनी ड्रामेबाजी क्यों? मुखौटे पहनने की जरूरत क्यों आन पड़ी

आखिर इतनी ड्रामेबाजी क्यों? मुखौटे पहनने की जरूरत क्यों आन पड़ी

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जेजेपी – जनता जननायक पार्टी से हमारा एको सवाल है, अगर वो ये सवाल का जवाब दे दें तो बड़ी मेहरबानी होगी। सवाल ये है कि जब पार्टी के सिद्धांत एक, लक्ष्य एक यहां तक कि पार्टी में शामिल होने वाले लोग भी वही तो अलग पार्टी बनाने की जरूरत क्यों पड़ी। ताऊ देवी लाल चौटाला कोई थाली में रखी हुई मिठाई नहीं है जिसे परिवार के लोग हलवा समझकर बांट सत्ता की प्लेट में परोस कर निगल जाएंगे। ताऊ देवी लाल चौटाला तो एक दौर हैं, समाज हैं, अपने आप में पूरी एक संस्था, एक विचारधारा हैं। वो किसी एक परिवार के नहीं हैं वो पूरे हरियाणा के हैं।
तो अगर उनकी यानी ताऊ की विचारधारा पर वोट चाहिए तो अलग से पार्टी बनाने का मतलब सही मायने में तो समझ नहीं आ रहा सिवाय इसके कि नईं पार्टी बनाने वालों के मन में मैल है सत्ता के लोभ का।
रही बात अभय चौटाला की तो पिछले ट्रैक रिकॉर्ड को निकाल कर देख लिया जाए तो अभय चौटाला तो कभी सीएम की रेस में आना ही नहीं चाहते थे। वो तो कभी भाई को जीतवाने, कभी भतीजे को जीतवाने में जी जान लगाते रहे। तो फिर एेसा क्या हुआ कि जिसको गोद में बिठाकर राजनीति के गुर सिखाए वो अलग पार्टी बना कर खड़ा हो गया और विपक्षी भी उन्हें सांत्वना देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। एेसा क्यों हैं कि कांग्रेस, आप और बीजेपी वालों को इन पर इतना तरस आ रहा है।
खैर ये बातें उन्हें ही समझ में आएंगी जिन्होंने जमीन से जुड़कर काम  किया है, जिन्हें रिश्तों की अहमियत समझ में आती हैं, जो रिश्तों को वस्तु की तरह नहीं देखते और न ही सार्वजनिक तौर पर सीमा लांघने में विश्वास रखते हैं। बाकी जनता जननायक नाम रखने से जनता को सुनाई दिखाई देना बंद हो जाएगा तो इस गलत फहमी मत रहिये जनाब क्योंकि ये पब्लिक है सब जानती है!!

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